शुक्रवार, 27 मई 2011

जीने दो इन्हें .....


कल मोबाइल से कम्पनियों के अवांछित SMS डिलीट करते एक गुड मोर्निंग मैसेज पर नजर पड़ी ...नेहा , हर रोज एक गुड मोर्निंग मैसेज भेजती थी ...उसके उस आखिरी SMS को मिटाया ही नहीं जाता ..जीवन सफ़र में बिछड़ जाने वाले हमारे मोबाइल में नाम और नंबरबन कर सेव रह जाते हैं ...हृष्टपुष्ट जिंदादिल नेहा ,फ्रेंड तो बेटी की थी , मगर मुझसे कहती...आंटी , आपसे मिलने आई हूँ और इधर -उधर की ढेरों बातें करती ...हम उसके मोटापे पर तंज करते तो हंसती ...हम तो गाँव के लोंग है ,खा- पी कर मस्त रहते हैं , आपकी तरह सुकड़े नहीं है , कभी आपको अपने गाँव लेकर चलूंगी ...
जिंदगी से भरपूर इस लड़की की मृत्यु की खबर अखबार में पढ़ी ...किसी की नजर में फ़ूड पोइजनिंग का मामला था , तो कोई इसे जानबूझकर जहर खाना बता रहा था ...उस दिन अखबार में 4 लड़के -लड़कियों की आत्महत्या की खबर थी , भुलाये नहीं भूलता ...भरे-पूरे परिवार में किस तरह लोंग अकेले पड़ जाते हैं कि उनके पास आत्महत्या के सिवा चारा नहीं होता ....मन बहुत उदास है ....जिन आँखों ने अभी जीवन ठीक से देखा ही नहीं ....जिन सांसों ने जीवन ठीक से जिया ही नहीं ....माता -पिता की आँखों की उम्मीद कैसे एक क्षण में तोड़ कर निर्मोही विदा हो जाते है ....जैसे जीने लायक इस जीवन में कुछ रहा ही नहीं ......क्यों .....!!
उस दुखद एहसास से गुजरते लिखी थी जिंदगी की यह कविता ....

जीने दो इन्हें ....





जीने दो इन्हें
मत डराओ
इन्हें जीने देना होगा
भयमुक्त जीवन
मरने से पहले ............

भर ले बाँहों में
खुला आसमान
फुद्फुदाती तितलियाँ
रंगबिरंगे फूल
सूरज की लालिमा
तुलसी की पवित्रता
चन्द्रमा की शीतलता
चिड़ियों का कलरव
नदियों की रुनझुन
हवाओं सी मस्ती
ख्यालों की बस्ती
सुरों की झंकार
शंख की पुकार
सब कुछ ........
समेट लेना होगा हमें
इन आँखों में
इनके ख़त्म होने से पहले ...

जल रही हो चहूँ ओर दिशाएं
निराशाओं का घनघोर अँधेरा
दम घोटू वातावरण में
हम ले भी ना पा रहे हों भरपूर सांसें
फिर भी
हमें गाने ही होंगे जिंदगी के गीत
कि
अनन्य अद्भुत शांति
सिमटी हो हमारी आँखों में
अंतस तक भिगोती स्निग्धता
जो देती रहे इन्हें साहस
जीने का हौसला
तमाम दुश्वारियों के बीच
कि हमारी नस्लें कर सके यकीन
कि जीवन जीने के लिए है
ख़त्म करने के लिए नहीं
ख़त्म होने के लिए नहीं ........

जीयें हम जी भर इस तरह जीवन
मुस्कुराएँ , खिलखिलाएं
गीत भी गुनगुनाएं
ये एहसास दिलाएं
कि कितना ज़रूरी है
किसी के लिए हमारा होना
कितना जरूरी है
इनका वजूद हमारे लिए
कि ये नस्लें कर सके यकीन
कितना कुछ यहाँ जीने के लिए
मरने से पहले .....




चित्र गूगल से साभार !

सोमवार, 9 मई 2011

जिंदगी है या चाय का प्याला ...







मुझे
चाय बहुत भाती है ...
हर रंग में हर रूप में
कभी यूँ ही काली कडवी से
कभी उस काली चाय में नीम्बू,
कभी बर्फ ,
कभी दूध डाली चाय
तो कभी उसमे ढेर सारे मसाले
चाय हर रंग में रूप में मुझे बहुत भाती है
कितनी उबाली जाए
कितनी चीनी
कितने मसाले
कितना दूध
किस प्याले में परोसी जायेगी
बनाने वाला ही तय करता है ....
मगर
जिसे पीना हो
चीनी दूध की मात्रा घटा बढ़ा सकता है
और बन जाती है उसके स्वाद की चाय !

जिंदगी भी मुझे चाय सी ही लगती है ...
जिस रंग में हो
जिस रूप में हो बहुत भाती है ...

कितना खौलेगी
कैसा रंग होगा
कैसा स्वाद ...
बाह्य आवरण कैसा होगा
बनाने वाला ही तय करता है ....
मगर
जिसका जीवन है
घटा- बढ़ा सकता है ख़ुशी या आंसूं
और बन जाता है उसके स्वाद का जीवन ....

जिंदगी मुझे चाय -सी ही लगती है
इसलिए हर रंग में मुझे बहुत भाती है ...